ब्लौग सेतु....

16 मार्च 2014

होली की शुभकामनाएं




बदरंग हो गयी दुनिया आज नफरत के रंग से।


आओ संवार ले इसे हम मोहब्बत के रंग से।।


जिन होंठों पर दर्द टिका है मुसकान भरे हम।


हम ऐसा करें जतन कि सबके दूरे होएं गम।।


देखो बसंत आ गया अब कली-कली मुसकायी।


बूढ़ों में छायी मस्ती यहां बहक रही तरुणाई।।


भौंरे कलियों पर मंडरायें, करते हैं अठखेली।


भींगी चूनर संभाल रही कोई नार अलबेली।।


गांव-नगर में मचा हुआ है आज बड़ा हुड़ंदंग।


नस-नस में सिहरन है, थिरक रहा हर अंग।।


लोकलाज के बंधन टूटे, मुक्त हुए मन प्राण।


बूढ़े-बच्चे में भेद नहीं, सबमें खुशी समान।।


कहीं डफ की तान पर झूम रहे हैं जन सारे।


कोई भंग की तरंग में तोड़ रहा बंधन सारे।।


ये मधुर रंग भारत के हैं इसकी  पहचान।


ये त्योहार अनोखे हैं खुशिय़ों की जान।।


माथे पर आंके सादर इक गुलाल का टीका।


इस मौसम में खाली माथा, लगता है फीका।।


मस्ती का त्योहार खुशियां भर लें तन-मन में।


रंगों का दें साथ, रंग भी जरूरी हैं जीवन में।।

                                                                          -राजेश त्रिपाठी

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